ye khaternak ishq in Hindi Love Stories by Siya books and stories PDF | प्लीज मुझे जानें दीजिए - 1

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प्लीज मुझे जानें दीजिए - 1

 
 
एक लड़की एक अंधेरे कमरे में बेहोश पड़ी थी, जब उसे होश आता है तो इधर उधर देखने लगी चिल्लाने लगी कोई है कोई है पर किसी की आवाज नहीं आती, वो बैठ जाती है और सोचती है |
 
 
वो कार ड्राइव कर रही थी एक सुनसान रास्ते में तभी कुछ ब्लैक कलर की बहुत कार उसके आगे और पीछे रखती है जिसकी वज़ह से उसे भी अपनी कार रोकनी पड़ती हैं ब्लैक कार में से कुछ लोग निकलते हैं और उस लड़की को कार के पास जाते है |
 
 
और उसे बहार निकाल कर इंजेक्शन उसकी गर्दन में इंजेक्ट कर देते हैं वो बेहोश हो जाती है।
 
 
ये लड़की कोई ओर नही आकांक्षा द्विवेदी है, थोडी देर बाद उस रूम का दरवाजा खुलता है कुछ बॉडीगार्ड आते है और साथ ने उनका बॉस विराज सिंघानिया, वो उस लड़की के आगे बैठता है और रौबदार आवाज में बोलता है बहुत अकड़ है न तुझमें और तेरे भाई में बहुत घमंड है ना दौलत का, सब निकलता हूं में तेरा ..
 
 
आकांशा उसकी आवाज सुन के ही डर गईं डरते डरते बोली को..को.. कोन हो आप और मुझे क्यू किडनैप किया है.... मैं आपको जानती भी नही, विराज बोलता है फिर उस कमरे में एक येलो लाइट ऑन होती है आकांक्षा विराज की शक्ल देख के डर जाती हैं ।
 
उसकी आंखे बिल्कुल लाल थी वो उठा और आकांक्षा को उठाया बाल पकड़ के और घसीटते हुए कार के तरफ ले गया और कार में धक्का दे दिया।
 
 
ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और सीधे एक विराज मेंशन में आ कर रुकी वो बहुत बड़ा था गेट पर बॉडीगार्ड खड़े थे, बीच में बड़ा सा फाउंटेन था एक बड़ा था गार्डन बना था और बीच में सुंदर सा व्हाइट कलर में घर था विराज गुस्से में आकांक्षा की खींचता हुआ अपने रूम में ले जा के बेड पर फेक दिया और बोलता है |
 
 
तेरी जिंदगी नरक होगी में बनाऊंगा और बोलता है इस कमरे से बाहर जाने या था से भागने को कोशिश भी की तो मुझसे बुरा कोई भी नही और दरवाजा बन्द करके चला जाता है।
 
 
आकांक्ष जिसकी उम्र 25 साल 5.3 हाइट रंग बिलकुल सफेद कमर तक लहराते घने काले बाल परफेक्ट फिगर. रूम में बंद पुरा रूम देख रही थी बहुत बड़ा बीच में बड़ा सा राउंड बेड डार्क ब्लू कलर और गोल्डन में डिजाइन किया हुआ बिलकुल रॉयल बड़ा सा सोफा क्लोसेट रूम विंडो बट लॉक्ड बालकनी में स्लाइडिंग डोर बट वो भी लॉक्ड वो रोए जा रही थी आंखे से आंसू सुख गए थे,
 
 
वो बोलती है में एक दिन था से जरूर आजाद हो जाऊंगी भाग जाऊंगी था से पता नहीं मैने क्या बिगाड़ा है मुझे क्यू बंद किया,वो सोचते सोचते सो गई शाम को करीब 5 बजे उसकी नींद लग गई और जब नींद खुली तब 8 बजे थे रात के विराज अभी तक नही आया था। वो उठी वाशरूम गई फ्रेश हुई ।
 
 
डोर की तरफ गई खोलने तभी विराज गुस्से में अंदर आया दूर लॉक किया और आकांक्षा को डायरेक्ट बेड पे धक्का दिया और अपना कोट उतार के काउच पर फेका फिर शर्ट के बटन खोलने लगा आकांक्षा पीछे खसकते हुए बोली प्लीज़ आप ऐसा कुछ मत करिए प्लीज दूर रहिए पर विराज को तो कुछ सुनाई नहीं दे रहा था
 
उसने अपनी शर्ट उतार के फेक दी,वो बेड की तरफ बढ़ा आकांक्ष के पैर पकड़ के अपनी तरफ खींचे आकांक्षा बोली प्लीज़ मुझे जाने दीजिए पर विराज तो उसके ऊपर चढ़ के डायरेक्ट होठ पे होठ रख के वाइल्ड किस किए जा रहा था आकांक्षा उसे धक्का मार रही थीं पर विराज को हिला भी नही पा रही थी विराज उसे काट रहा था, थोड़ी देर बाद उसे सास लेने में दिक्कत होने लगी तो विराज ने होठों को छोड़ा और निचे गार्डन पे बाइट करने लगा ऐसा लग रहा था जेसे किसी बात का गुस्सा निकल रहा है,
 
 
धीरे धीरे नीचे बढ़ने लगा किस करते करते उसे कपड़े महसूस हुए उसने सब निकाल कर फेक दिया नीचे।
 
आकांक्षा ने अपनी बॉडी को हाथ से कवर किया पर विराज ने उसका हाथ पकड़ के ऊपर कर दिया और उसकी बॉडी देखने लगा और एक हाथ फेरने लगा आकांक्षा तो हिम्मत हार चुकी थी बहुत कोशिश के बाद मे नही रोक पाई विराज को और विराज अपनी मनमानी कर रहा था,विराज किस के साथ हार्ड बाइट भी कर रहा था,
 
विराज ने आकांक्षा को पलटा और पीठ में निशान छोड़ता चला गया । आकांक्षा को सीधा किया फिर एक झटके में इंटर हुआ आकांक्षा की चीख निकल गई वो दर्द में चीख रही थी चिल्ला रही थी पर विराज तो और जोर से किए जा रहा था,
 
 
जब वो थक गया तब आकांक्षा को ऐसे ही छोड़ के वॉशरूम गया फ्रेश होकर आया और सो गया, आकांक्षा एडमारी हालत में थी उसकी बॉडी में बेतहाशा दर्द था और निचले हिस्से में और भी ज्यादा उसके आखों से आशु बहे जा रहे थे, ऐसे ही रोते रोते ना जाने कब उसकी नींद लग गई।
 
 
सुबह जब सूरज की रोशनी चेहरे पे पड़ी तब उसकी आंख खुली शरीर में बहुत ही दर्द था, वो उठने की कोशिश करने लगी तो उसके हिलने की वजह से विराज की नींद खुल गई क्युकी उसका एक हाथ आकांक्षा की कमर पर था उसने देखा तो बोला क्या कर रही हो,वो डरते हुए बोली वॉशरूम जाना है,
 
 
तो विराज ने छोड़ा उसे वो इधर उधर देखने लगी तो विराज बोला क्या हुआ वो बोली कपड़े, तो विराज बोला मेने सब देख लिया है अब बचा क्या है ऐसे ही चले जाओ ज्यादा शर्माने की जरूरत नही है आदत डाल लो अब इन सबकी रोज बरदाश करना है वो हिम्मत करके बोली भाग जाऊंगी में एक दिन तुम्हारी कैद से विराज ने गुस्से में एक बार फीर दबोच लिया बेचारी रात के दर्द से आराम नही मिला सुबह एक और नया दर्द करीब दो घंटे बाद विराज ने छोड़ा आकांक्षा को और बोला अपने दिमाग से भी ये ख्याल निकाल दो तुम्हे आखरी सास तक मेरे साथ रहना है
 
 
वो भी यही, वो वैसे ही लेटी रही और विराज उठा फ्रेश होकर रेडी होकर आफिस चला गया, उसके जाने के बाद वो जैसे ही उठने को हुई उसे बहुत दर्द हुआ वो नीचे गिर गई लेकिन विराज को कोई दया नही आई, वो जेसे तेसे उठी धीरे धीरे चलके गिरते पड़ते वाशरूम गई और बाथटब में गर्म पानी भरा और बैठ गई वो आंख बंद किए रोने लगी सब याद करते हुए।
 
 
उधर विराज आफिस में उसके दोस्त रोनित के साथ बैठ के बात कर रहा था, रोनित बोल रहा था देख विराज ऐसा कुछ मत करना जिससे बाद में पछताना पड़े तुझे उस लड़की की कोई गलती नही है वो तो उसके भाई और बाप की गलती है उनकी सजा तू उस बेचारी को क्यू दे रहा है, विराज बोला खून तो उनका ही है ना मेरी बहन को फसाने में उसका भाई जानवर की तरह पेश आता है,ओर रोज दर्द झेल रही है प्यार k नाम पे, भुगतना तो आकांक्षा को पड़ेगा ही, रोनित बोला देख भाई एक बार अच्छे से सोच ले बाद में तू लौट नही पाएगा ,विराज बोला सोच लिया है ।
 
 
आज के लिए इतना ही दोस्तो मेरी पहेली स्टोरी है प्लीज ज्यादा से ज्यादा लाइक करे मोटिवेट करने के लिए आशा करती हूं आपको पसंद आए धन्यवाद
 
हर हर महादेव